
ओम वर्मा, मोतिहारी। champaran in norway :
चंपारण की मिट्टी ही ऐसी है कि यहां की खुशबू पूरी दुनिया में महक उठती है।
मोतिहारी के युवा पूरी दुनिया में अपनी प्रतिभा का डंका बजा रहे हैं। ऐसे ही शख्सियत हैं मोतिहारी शहर के श्रीकृष्ण नगर मोहल्ले के रहने वाले अभिषेक रंजन। अभिषेक रंजन ने बिहार के इस छोटे से शहर से यूरोप के देश नार्वे में अपने मोतिहारी का नाम रोशन कर रहे हैं। वह वहां डॉक्टरल रिसर्चर हैं। दिवाली और छठ की पूजा के लिए वह मोतिहारी आए तो हमने उनका एक्सक्लूसिव इंटरव्यू किया। इस दौरान उन्होंने मोतिहारी से नार्वे तक की सफलता की पूरी कहानी बयां की।
https://fb.watch/olx_xhlF6F/
मोतिहारी के स्कूल से पढ़ा
champaran in norway : अभिषेक रंजन बताते हैं कि उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा मोतिहारी के स्कूल से की है। इसके बाद उन्होंने पटना का रुख किया। मैंने यह कभी नहीं सोचा था कि मैं नार्वे जाकर पढ़ाई करूंगा या विदेश जाने का मौका मिलेगा। यह मेरे लिए स्वप्न जैसा था। मैं अपने पिताजी को देखता था। वह बहुत संघर्ष करते थे। मेरे लिए वही प्रेरणास्रोत थे। इसके बाद मेरा कोच्चि यूनिवर्सिटी केरल में मेरा चयन हो गया। इसके बाद रास्ते खुलते गए और मैंने नार्वे तक का सफर तय किया।
भारत और यूरोप की शिक्षा व्यवस्था में अंतर
champaran in norway : अभिषेक रंजन बताते हैं कि भारत और यूरोप की शिक्षा व्यवस्था में काफी अंतर है। यहां की शिक्षा का मकसद सिर्फ परीक्षा पास करना है। गहराई में अध्ययन करना कई बार यहां के छात्रों का मकसद नहीं होता है। सिर्फ परीक्षा पास कर लेना है। यही यहां के छात्रों का गोल होता है। जबकि यूरोप में ऐसा नहीं है। वहां के लोग किसी चीज में बहुत गहरा उतरते हैं। इसमें उनको स्पेसिफिक इंटरेस्ट होता है। उन्हें कोई चीज या विषय सीखने की ललक होती है। यूरोप में परीक्षा पर फोकस नहीं होता, वहां सीखने पर फोकस होता है। जितना ज्यादा सीखेंगे उतना ही पारंगत होंगे। यूरोप के कई देशों में शिक्षा फ्री है। चंपारण के जिन छात्रों में वो जज्बा हो तो वे भी विदेश जाकर पढ़ाई कर सकते हैं।
खूबसूरत देश है नार्वे
नार्वे खूबसूरत देश है। यही वजह है कि पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है। चारों ओर बर्फ और दिन रात का रोटेशन पर्यटकों को बहुत लुभाता है। दुनिया भर के पर्यटक यहां आते हैं। पर यह देश काफी महंगा है। इस बात को ध्यान में रखना होता है।