
इंफोपोस्ट संवाददाता, नयी दिल्ली। Chhat pooja :
देश भर में आस्था के पर्व छठ की धूम है।
कल शनिवार को खरना के बाद आज रविवार को संध्या अर्ध्य का दिन है। आज डूबते सूर्य को व्रती अर्ध्य देंगे। खरना के दिन देश भर में व्रतियों ने ठेकुआ, पूड़ी, खीर का प्रसाद चढ़ाया और दुआएं मांगी। प्रधानमंत्री ने भारतवासियों और प्रत्येक व्रतियों को पर्व की शुभकामनाएं दी हैं। प्रधानमंत्री ने कामना की कि यह पावन दिवस हर किसी के जीवन में नई ऊर्जा और उत्साह का संचार करे। एक्स पर अपनी एक पोस्ट में प्रधानमंत्री ने कहा— “महापर्व छठ के साध्य अर्घ्य के पावन अवसर पर सभी देशवासियों को मेरी अनंत शुभकामनाएं। सूर्यदेव की वंदना हर किसी के जीवन में नई ऊर्जा और नए उत्साह का संचार करे। जय छठी मइया!”
महापर्व छठ के संध्या अर्घ्य के पावन अवसर पर अपने सभी परिवारजनों को मेरी अनंत शुभकामनाएं। सूर्यदेव की वंदना हर किसी के जीवन में नई ऊर्जा और नए उत्साह का संचार करे। जय छठी मइया!
— Narendra Modi (@narendramodi) November 19, 2023
पूरी तैयारी
Chhat pooja : छठ पर्व को लेकर देश के कई शहरों में घाटों की सफाई का काम पूरा कर लिया गया ताकि व्रतियों को कोई परेशानी न हो। वहीं अमेरिका के टेक्सास राज्य के डलास नगर में भारतीयों ने छठ की खास तैयारी की है। वे उसी उत्साह से छठ पूजा करते हैं, जितना उत्साह भारत में होता है।
यह है छठ का पौराणिक महत्व

आध्यात्मिक गुरु धर्मेंद्र कुमार मिश्रा ने मोतिहारी में छठ के बारे विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि छठ पूजा में सूर्य देव और छठी मैया की पूजा विधि विधान से की जाती है। छठ पूजा का प्रारंभ कब से हुआ, सूर्य की आराधना कब से प्रारंभ हुई, इसके बारे में पौराणिक कथाओं में बताया गया है। सतयुग में भगवान श्रीराम, द्वापर में दानवीर कर्ण और पांच पांडवों की पत्नी द्रौपदी ने सूर्य की उपासना की थी। छठी मैया की पूजा से जुड़ी एक कथा राजा प्रियवंद की है, जिन्होंने सबसे पहले छठी मैया की पूजा की थी। आइए जानते हैं कि सूर्य उपासना और छठ पूजा का इतिहास और कथाएं क्या हैं।
सूर्योपासना और लोक आस्था के महापर्व 'छठ' की सभी श्रद्धालुओं एवं प्रदेश वासियों को हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं!
भगवान भास्कर और छठी मइया के पावन आशीर्वाद से चराचर जगत सुख, समृद्धि व सौभाग्य के आलोक से आलोकित रहे, यही अभिलाषा है।
जय छठी मइया! pic.twitter.com/rrIY7W3VHZ
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) November 19, 2023
राजा प्रियवंद ने पुत्र के प्राण रक्षा के लिए की थी छठ पूजा
एक पौराणिक कथा के अनुसार, राजा प्रियवंद नि:संतान थे, उनको इसकी पीड़ा थी। उन्होंने महर्षि कश्यप से इसके बारे में बात की। तब महर्षि कश्यप ने संतान प्राप्ति के लिए पुत्रेष्टि यज्ञ कराया। उस दौरान यज्ञ में आहुति के लिए बनाई गई खीर राजा प्रियवंद की पत्नी मालिनी को खाने के लिए दी गई। यज्ञ के खीर के सेवन से रानी मालिनी ने एक पुत्र को जन्म दिया, लेकिन वह मृत पैदा हुआ था। राजा प्रियवंद मृत पुत्र के शव को लेकर श्मशान पहुंचे और पुत्र वियोग में अपना प्राण त्यागने लगे।
उसी वक्त ब्रह्मा की मानस पुत्री देवसेना प्रकट हुईं। उन्होंने राजा प्रियवंद से कहा, मैं सृष्टि की मूल प्रवृत्ति के छठे अंश से उत्पन्न हुई हूं, इसलिए मेरा नाम षष्ठी भी है। तुम मेरी पूजा करो और लोगों में इसका प्रचार-प्रसार करो। माता षष्ठी के कहे अनुसार, राजा प्रियवंद ने पुत्र की कामना से माता का व्रत विधि विधान से किया, उस दिन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी थी। इसके फलस्वरुप राजा प्रियवद को पुत्र प्राप्त हुआ।
श्रीराम और सीता ने की थी सूर्य उपासना
Chhat pooja : पौराणिक कथा के अनुसार, लंका के राजा रावण का वध कर अयोध्या आने के बाद भगवान श्रीराम और माता सीता ने रामराज्य की स्थापना के लिए कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को उपवास रखा था और सूर्य देव की पूजा अर्चना की थी।
आज देश के विभिन्न भागों में असंख्य लोग बड़े हर्ष और श्रद्धा से 'छठ पूजा' का पावन पर्व मना रहे हैं। छठी मैया से यह कामना करता हूँ कि सूर्य आराधना का यह महापर्व सभी के जीवन में सुख, समृद्धि और उत्तम स्वास्थ्य लेकर आये।
छठ पूजा की हार्दिक शुभकामनाएँ। pic.twitter.com/4IpMywaqOl
— Amit Shah (@AmitShah) November 19, 2023
द्रौपदी ने पांडवों के लिए रखा था छठ व्रत
पौराणिक कथाओं में छठ व्रत के प्रारंभ को द्रौपदी से भी जोड़कर देखा जाता है। द्रौपदी ने पांच पांडवों के बेहतर स्वास्थ्य और सुखी जीवन लिए छठ व्रत रखा था और सूर्य की उपासना की थी, जिसके परिणामस्वरुप पांडवों को उनको खोया राजपाट वापस मिल गया था।
लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा की सभी देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं।
मंगलकामना करता हूँ कि यह पावन पर्व सभी के लिए सुख, शांति, समृद्धि और ख़ुशहाली लाएं। सबों के जीवन में सफलता का प्रवाह हो, सभी लक्ष्यों की सुखद प्राप्ति का आशीर्वाद हो एवं सबों के जीवन में कामयाबी का निरंतर… pic.twitter.com/EUgtg8cZKu
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) November 19, 2023
दानवीर कर्ण ने शुरू की सूर्य पूजा
Chhat pooja : महाभारत के अनुसार, दानवीर कर्ण सूर्य के पुत्र थे और प्रतिदिन सूर्य की उपासना करते थे। कथानुसार, सबसे पहले कर्ण ने ही सूर्य की उपासना शुरू की थी। वह प्रतिदिन स्नान के बाद नदी में जाकर सूर्य को अर्घ्य देते थे।
छठ महापर्व के शुभ अवसर पर आप सभी को ढेरों शुभकामनाएँ। भगवान सूर्य का आशीर्वाद आप सभी को प्राप्त हो। जय छठी मइया! pic.twitter.com/0bAISFPzsg
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) November 19, 2023
शहर और सूर्योदय का समय
पटना में सूर्योदय का समय— सुबह 6.09 मिनट
दिल्ली में सूर्योदय का समय— सुबह 6.47 मिनट
मुंबई में सूर्योदय का समय— सुबह 6.48 मिनट
भागलपुर में सूर्योदय का समय— सुबह 6.02 मिनट
वाराणसी में सूर्योदय का समय— सुबह 6.18 मिनट
धनबाद में सूर्योदय का समय— सुबह 6.01 मिनट
कोलकाता में सूर्योदय का समय— सुबह 5.52 मिनट
लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा की आप सबों को हार्दिक शुभकामनाएँ।
छठ मैया आप सभी की मनोकामना पूर्ण करें एवं सबो के जीवन में सुख, शांति, समृद्धि, प्रेम और बरकत दें। जय छठ मैया की। #ChathPooja #छठ_पूजा pic.twitter.com/YMi37z7lMM
— Lalu Prasad Yadav (@laluprasadrjd) November 19, 2023