
सत्येंद्र नाथ वर्मा, मुजफ्फरपुर। Chhat pooja :
नहाय खाय से शुक्रवार को छठ पूजा की शुरुआत हो गई।
देश ही नहीं विदेश में भी भारतीय समुदाय छठ पूजा की तैयारी कर रहा है। बिहार, उत्तर प्रदेश, दिल्ली एनसीआर सहित पूरे देश भर में छठ का उल्लास है। वहीं अमेरिका में भारतीय समुदाय छठ पूजा की तैयारी में जुटा हुआ है। बिहार के अलग अलग घाटों को त्योहार के लिए सजाया जा रहा है। पटना, मोतिहारी, मुजफ्फरपुर, बेतिया सहित बिहार के सभी शहरों और दिल्ली एनसीआर के घाटों पर व्रतियों के लिए सुविधाएं जुटाई जा रही हैं, वहीं अमेरिका में भी त्योहार की पूरी धूम है।
अमेरिका में भी पूरी तैयारी
Chhat pooja : अमेरिका के टेक्सास स्टेट के डलास नगर में बसे भारतीय पूरी तैयारी कर रहे हैं। कोई गीत की प्रैक्टिस कर रहा है तो कोई घाटों को सजा रहा है। डलास नगर के द कालोनी लेक The Colony Lake, ग्रैपेवाइन लेक Grapevine Lake और डेंटन लेक Denton Lake घाटों को व्रतियों के तैयार किया जा रहा है। डलास में बसे भारतीय व पेशे से कंप्यूटर इंजीनियर अजित पांडेय ने बताया कि सात समंदर दूर होने के बाद भी हम अपनी संस्कृति नहीं भूले हैं। हमलोग छठ पूजा वैसे ही करते हैं, जैसा भारत में होता है। अपने गांव— शहर को बहुत मिस करते हैं, लेकिन हमलोगों ने यहां ही मिनी भारत बसा लिया है।
भात और कद्दू की सब्जी का भोजन
शुक्रवार को व्रतियों ने भात और कद्दू के भोजन से पर्व की शुरुआत की। दीपों का पर्व दीपावली के छठे दिन कार्तिक शुक्ल पक्ष में पड़ने वाला छठ पूजा भगवान भास्कर की उपासना का चार दिवसीय महापर्व है। यह व्रत धार्मिक के साथ साथ वैज्ञानिक महत्व को भी दर्शाता है जिसमें व्रती निर्जला रहकर इस अनुष्ठान को पूरे मनोयोग से करते हैं। यही एक पर्व है जिसमें हर जगह सामाजिक समरसता झलकती है। किसी प्रकार का छूत अछूत, वर्ग और वर्ण का नामोनिशान नहीं होता। छठी माता के बारे में मान्यता है इन्हें सूर्य की बहन और ब्रह्मा की मानस पुत्री माना गया है।
Chhat pooja : पूरे बिहार में छठ घाटों की सफाई और सजावट का काम जारी है। कई घाटों पर मशीनों की भी मदद ली जा रही है। घाटों पर व्रतियों के लिए सभी व्यवस्थाएं की जा रही है ताकि शाम और सुबह के अर्घ्य के समय उन्हें दिक्कत न हो।
करती हैं सलामती की दुआएं
छठ करने वाली माताएं और बहनें इस पर्व में संतान के स्वस्थ और दीर्घायु जीवन की कामना के साथ साथ कुल परिवार की सलामती की भी कामना करती हैं।
नहाय -खाय से शुरूआत
Chhat pooja : महापर्व की शुरुआत पहले दिन नहाय -खाय से होता है। दूसरे दिन खरना जिसमें व्रती सुबह से निर्जला रहकर शाम को मिट्टी के चूल्हे पर प्रसाद बनाती हैं फिर वही प्रसाद ग्रहण कर तीसरे दिन भी बिना अन्न पानी के गुजार देती हैं और आटे, गुड़ से तैयार प्रसाद जिसे हम ठेकुआ कहते हैं, बनाती हैं। फिर शाम को सूर्यास्त के पहले नदी, तलाब, पोखर या किसी शुद्ध पानी में खड़े होकर सूर्य देव की पहली पत्नी “ऊषा”को जल देकर अपनी इच्छा की कामना करती हैं। शाम को घर पर कोसी भरने की भी परम्परा चली आ रही है जिसे आज भी पूरी विधि विधान से किया जाता है।
पर्व के चौथे दिन सुबह सुबह सूर्योदय होते हीं सूर्य की दूसरी पत्नी “प्रत्युषा,”को जल देकर उपासना की जाती है। फिर घर आकर परना यानी अन्न, जल ग्रहण कर छठी माता के इस महापर्व का समापन करती हैं।
Chhat pooja : इस दौरान क्या बच्चे क्या बूढ़े और जवान सभी में छठ के प्रति एक अजब उल्लास और समर्पण की भावना देखने को मिलती है। स्थानीय प्रशासन भी पूरी तन्मयता के साथ इस दौरान अपने कर्तव्य का निर्वहन करता है। हो भी क्यों न छठी माता की महिमा ही इतनी निराली है कि आज भी अपने देश के साथ साथ विदेश में भी यह गीत गूंजता है।
पहिले पहिले हम क ईनी, छठी म ईया ब्रत तोहार
करहूं क्षमा छठी म ईया भूल चूक,’गलती हमारा।