
Festival: नोएडा के सेक्टर 82 पाकेट 7 में हलछठ का पर्व धूमधाम से मनाया गया। सुबह सभी महिलाओं ने 5 ब्लाक के पार्क में एकत्रित होकर पूजा अर्चना की।
Festival: शास्त्रों में हल षष्ठी का विशेष महत्व
इंफोपोस्ट न्यूज
Festival: शास्त्रों में हल षष्ठी का विशेष महत्व है। हल षष्ठी हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि मनाई जाती है। वहीं इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम जी का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन को बलराम जयंती के रूप में भी मनाते हैं।
वहीं इस दिन महिलाएं संतान की दीर्घायु और कुशलता की कामना के लिए व्रत रखती हैं। साथ ही इसे बलराम जयंती और ललही छठ के नाम से भी जाना जाता है।
बलराम के शस्त्र की पूजा का भी विधान
महिलाओं ने सुबह जल्दी उठ कर स्नान कर साथ ही साफ सुथरे कपड़े पहनकर एक पीला या लाल कपड़ा पूजा की चौकी पर बिछाया। साथ ही श्री कृष्ण और बलराम जी की फोटो या प्रतिमा चौकी पर रखा। इसके बाद गणेश भगवान का स्मरण किया।
साथ ही फिर बलराम जी की प्रतिमा पर चंदन का तिलक किया और फिर फूल चढ़ाए। बलराम जी का ध्यान करके उन्हें प्रणाम किया और भगवान विष्णु की आरती के साथ पूजा संपन्न की। हलषष्ठी पर श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम के शस्त्र की पूजा का भी विधान है। इसलिए एक प्रतीकात्मक हल बनाकर उसकी पूजा करते हैं।
छठ माता की पूजा-अर्चना
वहीं हल षष्ठी पर्व पर महिलाएं एक गड्ढा बनाई और फिर उसे गोबर से लीप कर तालाब का रूप दे दिया। साथ ही इस तालाब में झरबेरी और पलाश की एक शाखा बांधकर उसमें गाड़ दिया। इसके बाद भगवान गणेश और माता पार्वती की पूजा की। साथ ही छठ माता की पूजा-अर्चना की। पूजा के समय 7 प्रकार का अनाज भी चढ़ाया। साथ ही रात्रि में चंद्र दर्शन के बाद व्रत का पारण किया।
शास्त्रों के अनुसार इस दिन बलराम जी की पूजा से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस दिन खेती में उपयोग होने वाले उपकरणों की पूजा की जाती है। इसके साथ ही महिलाएं संतान की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं। मान्यता है कि व्रत रखने से संतान दीर्घायु होती है और सभी कष्ट दूर होते हैं।