Scam in MNREGA: आज मैं आपसे बात करूंगा कि किस कदर मनरेगा मजदूरों से धोखा किया जा रहा है। जांच के नाम पर अधिकारी भोले भाले ग्रामीणों को इधर से उधर घुमा रहे हैं। देश के शहरों में वैसे भी भयानक रूप से बेरोजगारी पसरी है। मनरेगा में काम की उम्मीद लेकर वहां से भाग कर कामगार अपने गांव पहुंचते हैं तो वहां भी उनको धोखा ही मिलता है। अधिकारी और ठेकेदार घपला और भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे हैं।
Scam in MNREGA: बनरसिया गांव में मनरेगा का काम जेसीबी मशीन से
इंफोपोस्ट न्यूज
चंदौली, उत्तर प्रदेश। Scam in MNREGA: राजनाथ सिंह के गृह जनपद चंदौली का एक मामला सामने आया है। यह कोविड की पहली लहर का दौर था। साहबगंज ब्लॉक के बनरसिया गांव में मनरेगा का काम जेसीबी मशीन से करा लिया गया। इसकी शिकायत ब्लॉक स्तर के अधिकारियों से की गई तो उन्होंने शिकायत पर कोई ध्यान नहीं दिया। अधिकारियों की इस बेरुखी से ग्रामीण परेशान हो गए। और उन्होंने इसकी फाइल जिला अधिकारी कार्यालय में दे दी। लेकिन वहां भी मामले की जांच लंबित है।
फिर ग्रामीणों ने लोकपाल महोदय से शिकायत की और बताया कि मनरेगा का काम जेसीबी मशीन से कराया जा रहा है। और मनरेगा मजदूरों के लिए जारी की गई राशि को बिना उनसे कोई कार्य कराए निकाल ली जा रही है। मनरेगा जैसे कार्यों में घपले और भ्रष्टाचार से मजदूरों को मनरेगा योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
ग्रामीणों ने कहा, भ्रष्टाचार की जांच नहीं करते अधिकारी
ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने बनरसिया गांव में शौचालय के निर्माण कार्य की जांच के लिए एक शपथ पत्र 6 जनवरी 2022 को जिलाधिकारी महोदय को दिया था। उसके रेस्पांस में उन्होंने एक तहसीलदार को जांच अधिकारी नियुक्त कर दिया। लेकिन तहसीलदार साहब ने कह दिया कि मामला उनके विभाग से संबंधित नहीं है।
एक साल भटकने के बाद ग्रामीणों ने दोबारा जिलाधिकारी महोदय से शिकायत की। और 6 फरवरी 2023 को जिला पंचायत अधिकारी को जांच सौंप दी गई। लेकिन इन महोदय ने जिलाधिकारी से दोबारा पत्र लाने के लिए कह दिया। ग्रामीण 10 बार पत्र लेकर जा चुके हैं, लेकिन इस भ्रष्टाचार की जांच ठंडे बस्ते में पड़ी है। अंत में पंचायतीराज अधिकारी ने कह दिया कि जो करना हो कर लो, हम कोई जांच नहीं करेंगे। इस मामले में भ्रष्टाचार की भयंकर बदबू आ रही है।
अधिकारी जांच क्यों नहीं कर रहे हैं, इससे उनकी संवेदनशीलता, शालीनता और ईमानदारी पर सवाल तो उठता ही है। दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि ग्रामीण प्रधानमंत्री को भी पत्र लिख चुके हैं, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सन्नाटा पसरा है। यह खबर आपको कैसी लगी, जरूर बताएं। फिर मिलेंगे एक ताजा इंफारमेशन के साथ। नमस्कार।