
निवेदिता झा, मोतिहारी। ultrasound during pregnancy :
अल्ट्रासाउंड एक ऐसा विषय है, जिसे लेकर गर्भवती महिलाओं में कई प्रकार की भ्रांतियां हैं और कहीं न कहीं जानकारी का अभाव है।
पूरी जानकारी नहीं होने की वजह से गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। महिलाओं में इन भ्रांतियों को दूर करने के लिए इस विषय पर पूर्वी चंपारण जिले की वरिष्ठ महिला रोग चिकित्सक डॉ अभिलाषा झा से हमने बात की। उन्होंने वीडियो इंटरव्यू में उपयोगी जानकारी दी।
सुरक्षित है अल्ट्रासाउंड
डॉ अभिलाषा झा ने बताया कि प्रेगनेंसी कन्फर्म होने के बाद जब महिलाएं अपनी डॉक्टर से पास जाती हैं तो उन्हें अल्ट्रासाउंड के लिए लिखा जाता है। इस पर उनके मन में यह सवाल उठता है कि क्या अल्ट्रासाउंड सुरक्षित है या नहीं। इस पर मैं बताना चाहूंगी कि अल्ट्रासाउंड बहुत जरूरी है और यह सुरक्षित है।
जरूरी भी है अल्ट्रासाउंड
ultrasound during pregnancy : डॉ अभिलाषा झा ने बताया कि टेस्ट से यह तो पता चल जाता है कि महिला प्रेगनेंट है कि नहीं। लेकिन जो बच्चा बन रहा है उसका इंम्प्लाटेंशन प्रोपर हुआ है या नहीं। सिंगल प्रेगनेंसी है या ट्विन है, बच्चे में धड़कन है या नहीं, इस प्रकार की बहुत चीजों को कन्फर्म करने के लिए अल्ट्रासाउंड कराना जरूरी होता है।
कब कब कराना चाहिए अल्ट्रासाउंड
डॉ अभिलाषा झा ने बताया कि जरूरत के हिसाब से अल्ट्रासाउंड कराया जाता है। प्रेगनेंसी कन्फर्म होने के 15 दिन बाद कम से कम एक स्कैन तो हो ही जाना चाहिए। एंटी एमबी स्कैन 11 सप्ताह से 13 सप्ताह के बीच कराया जाता है। लेवल—2 स्कैन 18 से 22 सप्ताह के बीच कराना चाहिए। अगर कोई कांप्लकेशंस लगता है तो उसके हिसाब से अलग अलग समय में अल्ट्रासाउंड कराया जाता है।
टीवीएस स्कैन
ultrasound during pregnancy : टीवीएस स्कैन को सामान्यत: अर्ली प्रेगनेंसी में डॉक्टर लिखती हैं। यह रूट डिफरेंस है। इसमें क्लीयरिटी ज्यादा रहती है। आवश्यकता के हिसाब से इसे कराया जाता है।